करनाल के घरोंदा और नीलोखेड़ी में भाजपा और कांग्रेस ने पुराने चेहरों पर दांव खेला है, यहां दोनों की साख दांव पर है। घरोंदा में 2014 में भाजपा के हरविंद्र कल्याण के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के विरेंद्र सिंह राठौर सामने हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदान की तिथि जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे वैसे चुनावी रंग चढ़ रहा है और राजनीतिक समीकरण भी बदले जाने की उम्मीद हैं। इस बार दो सीटों पर पिछली बार के विरोधी अब सहयोगी बन गए हैं। तो वहीं दो सीटों पर 2019 की तरह फिर धुरंधरों में टक्कर देखने को मिलेगी। करनाल सीट पर दल-बदल का खेल वापस जारी है।
पांचों सीटों पर नजर डालें तो इंद्री और असंध में पिछली बार के कट्टर विरोधियों ने हाथ मिलाया है। इंद्री में 2014 में राकेश कांबोज के विरोधी कर्णदेव अब कांग्रेस में आने पर उनके सहयोगी हैं। ऐसी ही स्थिति असंध में है, यहां 2019 में कांग्रेस के शमशेर गोगी के विरोधी रहे भाजपा के बख्शीश सिंह अब कांग्रेस में आने के बाद गोगी के साथ हैं। पूर्व विधायक जिलेराम इस जोड़ी और भाजपा को निर्दलीय टक्कर दे रहे हैं।
वहीं घरौंडा और नीलोखेड़ी में भाजपा और कांग्रेस ने पुराने चेहरों पर दांव खेला, यहां दोनों की साख दांव पर है। घरौंडा में 2014 में हरविंद्र कल्याण के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के विरेंद्र सिंह राठौर आमने-सामने हैं। कल्याण जीते तो यह उनकी हैट्रिक होगी। वहीं राठौर जीते तो उनकी पिछले तीन चुनावों में हार की मेहनत का अच्छा फल होगा। नीलोखेड़ी में 2019 में आमने सामने रहे पूर्व विधायक भगवानदास कबीरपंथी और धर्मपाल गोंदर को भाजपा कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। करनाल में सीएम के सीट छोड़ने के बाद से भाजपा, कांग्रेस के अलावा इनेलो, जजपा और आप के पदाधिकारी पार्टियां बदल रहे हैं। ऐसे में दल बदल का खेल ही अंत में नया खेल करेगा।