लेह-लद्दाख में शहीद हुए कैथल के संजय सिंह सैनी पंचतत्व में विलीन, बेटे ने दी मुखाग्नि,-
शहादत की वजह बनी भीषण ठंड-
“यहां सब ठीक है” आखिरी बातचीत –
राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार-
परिवार में शोक और गर्व का संगम-
ब्यूरो रिपोर्ट कैथल –
हरियाणा के कैथल जिले के गांव कवारतन का वीर सपूत और भारतीय सेना का जांबाज जवान संजय सिंह सैनी मंगलवार को देशसेवा करते हुए लेह-लद्दाख में शहीद हो गए। उनकी उम्र महज़ 39 वर्ष थी। बुधवार को उनका पार्थिव शरीर हेलिकॉप्टर से चंडीगढ़ लाया गया, जहां से उसे गांव पहुंचाया गया और वहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।वे पिछले 20 वर्षों से देशसेवा में लगे थे। शहीद की अंतिम विदाई में गुहला विधायक देवेंद्र हंस, कैथल भाजपा जिला अध्यक्षा ज्योति सैनी, कैथल एसडीएम सहित कहीं सामाजिक संगठनों सहित गांववासियों तथा सेना के जवानों ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी।
संजय सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में हुआ, जहां 14 वर्षीय बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट पर उनकी पत्नी और बेटे ने उन्हें सैल्यूट कर विदाई दी। यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया। अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। गांव में मातम का माहौल है, लेकिन साथ ही हर किसी को अपने लाल की शहादत पर गर्व भी है। अंतिम संस्कार पर पहुंचे गुहला विधायक देवेंद्र हंस ने कहा कि संजय सिंह सैनी की शहादत न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका बलिदान देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
परिवार के अनुसार, संजय सिंह लेह-लद्दाख में सेना की 10 सिख रेजिमेंट में तैनात थे। हाल ही में वहां आए बर्फीले तूफान और भीषण ठंड के कारण उनके सिर में खून जम गया, जिससे रक्त संचार रुक गया और उन्होंने दम तोड़ दिया। सेना अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद उनका पार्थिव शरीर गांव लाया गया।संजय की आखिरी बातचीत कुछ दिन पहले ही हुई थी, जब उन्होंने परिवार को बताया, “यहां सब ठीक है।” तीन महीने पहले ही उनके पिता का निधन हुआ था, तब वे छुट्टी लेकर गांव आए थे। परिवार को क्या पता था कि यह बात उनकी आखिरी बात होगी।
संजय सिंह अपने पीछे पत्नी, दो बेटे (14 व 11 वर्ष), बुजुर्ग मां और बड़ा भाई छोड़ गए हैं। गांव और परिवार के लोग गम में डूबे हैं, लेकिन बेटे की शहादत पर मां और पत्नी ने साहस दिखाते हुए कहा कि “हमें हमारे बेटे पर गर्व है, उसने देश के लिए जान दी है।” गांववासियों ने पुष्प अर्पित कर संजय को श्रद्धांजलि दी।वहीँ अंतिम यात्रा में हर ओर ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद संजय अमर रहें’ के नारे गूंजते रहे।