हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बीच केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की नाराजगी ने BJP में हड़कंप मचा दिया है। पहले केंद्रीय मंत्री न बनाने और अब बेटी व समर्थकों के टिकट पक्के न होने को लेकर राव की नाराजगी ज्यादा बढ़ गई थी। बता दें स्क्रीनिंग कमेटी के अन्य सदस्यों और समर्थकों ने उन्हें लिस्ट में आरती का नाम जोड़ने की सलाह दी है। कहा जा रहा है कि वह पार्टी हाई कमांड से थोड़ा नाराज भी चल रहे हैं, जिनकी बेटी को टिकट देने की मांग 2014 और 2019 में ठुकरा दी गई थी। वह स्वतंत्र प्रभार के साथ मंत्री भी बनना चाहते थे लेकिन पार्टी ने पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को ही तरजीह दी।
वहीँ टिकट बंटवारे से पहले पीएम मोदी ने केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत दिल्ली बुलाया है और इस दौरान उनके साथ खट्टर-गुर्जर-सैनी को भी मीटिंग में आने के लिए कहा गया है।
गौरतलब है की हरियाणा में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर टिकट बंटवारा राजनीतिक दलों के लिए सिरदर्दी बनती जा रही है। यहां परंपरागत जाति, समुदाय और क्षेत्र के अलावा,समुदाय और क्षेत्र के अलावा, राजनैतिक दल नए समीकरणों पर भी विचार कर रहे हैं, जैसे कि परिवारवाद और सोशल इंजीनियरिंग पर भी फोकस कर रही हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने की रेस में है। इस बार पार्टी के सामने बड़ी चुनौती दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों को टिकट देने की है। पार्टी सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बीजेपी को मौजूदा मंत्रियों और सांसदों के बेटे और बेटियों को टिकट देने की सलाह दी है. परिवारवाद पर इस बदलते रुख के चलते हरियाणा के लोगों में आश्चर्य हो सकता है।
राव इंद्रजीत सिंह की मुसीबत
कहा जा रहा है कि गुरुग्राम मंथन में शामिल रहे राव इंद्रजीत सिंह डायरेक्ट अपनी बेटी के लिए टिकट नहीं मांग पाए हैं, स्क्रीनिंग कमेटी के अन्य सदस्यों और समर्थकों ने उन्हें लिस्ट में आरती का नाम जोड़ने की सलाह दी है। कहा जा रहा है कि वह पार्टी हाई कमांड से थोड़ा नाराज भी चल रहे हैं, जिनकी बेटी को टिकट देने की मांग 2014 और 2019 में ठुकरा दी गई थी। वह स्वतंत्र प्रभार के साथ मंत्री भी बनना चाहते थे लेकिन पार्टी ने पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को ही तरजीह दी। देखा जाए तो वह हरियाणा में 14 सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं, जिनमें दक्षिणी हरियाणा की सीटें शामिल हैं. इस क्षेत्र में अहिर्वाल समुदाय का दबदबा है।
उन्होंने बागड़ और जीटी रोड बेल्ट के अपने समर्थकों के लिए भी टिकट मांगी है, लेकिन अब लिस्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि आखिर इस बार पार्टी ने उनको कितना फ्री हैंड दिया है।
बीजेपी के एक सीनियर नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि लीडरशिप कोई चांस लेने के मूड में नहीं है, क्योंकि एक गलत फैसला पार्टी के परफोर्मेंस को प्रभावित कर सकता है। पार्टी नेता ने कहा कि अंतिम फैसला हाई कमांड का होगा, लेकिन जो भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, या जिनका परफोर्मेंस खराब रहा है, वे टिकट से महरूम रह सकते हैं।