18वीं लोकसभा आम चुनाव में हुए कुल 7 चरणों के मतदान की गत 4 जून को संपन्न हुई मतगणना के बाद हरियाणा में रोहतक लोकसभा सीट से कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने 3.45 लाख वोटों के विशाल अंतर से भाजपा के डा. अरविंद शर्मा को पराजित कर उनके हाथों अपनी 5 वर्ष पूर्व मई, 2019 में हुई हार का बदला ले लिया है. दीपेंद्र हालांकि मार्च, 2020 से हरियाणा से 6 वर्षों के लिए कांग्रेस पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए थे
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और चुनाव कानूनों के जानकार हेमंत कुमार ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण पॉइंट उठाते हुए बताया कि
दीपेंद्र हुड्डा के बीती 4 जून 2024 को रोहतक लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित होने के साथ ही उनकी हरियाणा से राज्यसभा सदस्यता तत्काल समाप्त हो गई है एवं राज्यसभा की उक्त सीट स्वत: रिक्त हो गई है. इसके लिए दीपेंद्र हुड्डा को औपचारिक तौर पर राज्यसभा से त्यागपत्र देने की कोई आवश्यकता नहीं है.
हेमंत ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (आर.पी. एक्ट), 1951 की धारा 69(2) का हवाला देते हुए बताया कि उसमें स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि यदि कोई व्यक्ति जो पहले से ही राज्यसभा का सदस्य है और ऐसी सदस्यता के दौरान वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो जाता है, तो राज्यसभा में उस व्यक्ति की सीट उसके लोकसभा सदस्य चुने जाने की तारीख से ही खाली हो जाएगी. इसलिए रोहतक लोकसभा सीट के चुनाव में दीपेन्द्र हुड्डा के निर्वाचित घोषित होने से चुनावी नतीजे के दिन ही अर्थात 4 जून 2024 से ही अर्थात जिस दिन उन्हें रोहतक लोस सीट के रिटर्निंग ऑफिसर (आर.ओ.) द्वारा निर्वाचन प्रमाण पत्र प्रदान किया गया, उसी दिन से दीपेन्द्र हरियाणा से राज्यसभा के सदस्य नहीं रहे.
किचूँकि दीपेन्द्र हुड्डा का राज्यसभा कार्यकाल अप्रैल, 2020 से अप्रैल,2026 तक था, इसलिए उनके रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के फलस्वरूप उनकी राज्यसभा सदस्यता का शेष कार्यकाल एक वर्ष से अधिक है, इसलिए आगामी कुछ सप्ताह में
जब भारतीय निर्वाचन आयोग देश के विभिन्न राज्यों में रिक्त हुई उन सभी राज्यसभा सीटों पर उपचुनाव कराएगा, जहाँ जहाँ से मौजूदा राज्यसभा सांसद ताजा लोकसभा आम चुनाव में निर्वाचित होकर नई 18वीं लोकसभा सांसद बने हैं, उन उपचुनाव की सूची में हरियाणा की उक्त रिक्त हुई राज्यसभा सीट भी शामिल होगी.
अब क्योंकि मोजूदा 14 वी हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवम्बर 2024 तक है एवं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के गत 4 जून को ही रिक्त करनाल विधानसभा सीट उपचुनाव जीतकर विधायक बनने से, जिसकी शपथ भी उन्होंने 6 जून को ले ली, से मौजूदा हरियाणा विधानसभा सदन में भाजपा की सदस्य संख्या ( स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता को मिलाकर) 40 से 41 हो गई है.
हेमंत ने बताया कि 87 सदस्ययी ( रानियां, बादशाहपुर और मुलाना विस सीटें रिक्त) मौजूदा हरियाणा विधानसभा सदन में बहुमत का आंकड़ा 44 बनता है. गत माह भाजपा सरकार को समर्थन कर रहे तीन निर्दलीय विधायकों — करनाल की नीलोखेड़ी से धर्म पाल गोंदर, कैथल की पुण्डरी से रणधीर सिंह गोलन और चरखी दादरी जिले की दादरी से सोमबीर सांगवान द्वारा सरकार से समर्थन वापिस लेने के ऐलान के बाद (हालांकि कुछ तकनीकी कारणों से फिलहाल राज्यपाल और स्पीकर को इस बारे में आधिकारिक तौर पर सूचित किया जाना लंबित है) और बीती 25 मई को एक निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के निधन के बाद से नायब सैनी सरकार के बहुमत पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
वर्तमान में हरियाणा की भाजपा सरकार के पास एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत एवं हलोपा के इकलौते विधायक गोपाल कांडा का ही समर्थन है जिससे उसके पास 43 विधायक बनते हैं जो बहुमत से एक कम है. विपक्ष के पास कुल 44 विधायक है जिसमें कांग्रेस के 29 ( वरुण चौधरी के लोकसभा सांसद बनने के बाद ) जजपा के 10, चार निर्दलीय और एक इनेलो के अभय चौटाला.
हालांकि हरियाणा से दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा सांसद बनने से रिक्त हुई राज्यसभा सीट के उपचुनाव जीतने के लिए हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा उक्त विपक्षी विधायकों में सेंधमारी कर अपनी अपनी मौजूदा 43 की संख्या को बढ़ा सकती है जिससे राज्यसभा उपचुनाव जीतकर सदन में नायब सैनी सरकार का बहुमत भी साबित हो जाएगा. वही दूसरी ओर इस बात की संभावना फिलहाल बहुत क्षीण प्रतीत होती है कि हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के सभी उपरोक्त 44 विधायक राज्यसभा उपचुनाव के लिए एकजुट होकर कोई संयुक्त प्रत्याशी के नाम पर सहमत होंगे. भाजपा की ओर से संजय भाटिया और सुनीता दुग्गल के नाम की चर्चा शुरू हो गई है ।