जींद के पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर शुक्रवार को आषाढ़ अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया तथा पिंडदान कर तर्पण किया। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। जगह-जगह पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। वाहनों की पार्किंग के लिए अलग से स्थान निर्धारित किया गया था।
ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर वीरवार शाम से ही श्रद्धालुओं पहुंचना शुरू हो गए। वीरवार को पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन चलते रहे। शुक्रवार को तड़के से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान व पिंडदान शुरू कर दिया। इस मौके पर दूर दराज से आएं श्रद्धालुओं ने अपने पितरोंं की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की।
पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस्या के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं। सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन यहां सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए थे।