हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख 1 अक्टूबर से बढ़ाकर 5 अक्टूबर करने के चुनाव आयोग के फैसले ने सियासी हलचल को तेज कर दिया है। इस निर्णय पर कांग्रेस और भाजपा के बीच जमकर बयानबाजी हो रही है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया ने चुनाव आयोग के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा ने तदर्थवाद के तहत सरकार चलाई है और अब उसी तदर्थवाद के तहत चुनाव की तारीखें तय की हैं। तिथियों में बदलाव से प्रशासन, मतदाता, और समय सारिणी प्रभावित हुई है, लेकिन इससे कांग्रेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह भाजपा की विफलता का संकेत है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि लगातार हार का सामना कर रहे उम्मीदवारों को बदलने की बात पर भी विचार किया जाएगा।
कांग्रेस नेता अजय माकन ने इस मुद्दे पर कहा कि हम पूरी तरह तैयार हैं। अगर चुनाव कल भी होते हैं तो हम तैयार हैं। भाजपा सत्ता विरोधी लहर के चलते चुनाव को टालने की कोशिश कर रही है, लेकिन हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, हम आराम से जीतेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी उन्हीं उम्मीदवारों को टिकट दे रही है, जिनकी जीतने की क्षमता है।
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भी अब भाजपा के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि तारीखों में बदलाव भाजपा की हार के डर को दर्शाता है। हरियाणा में भाजपा की अलोकप्रिय सरकार का हर निर्वाचन क्षेत्र में भारी अंतर से पराजित होना तय है।
इस बीच, भाजपा नेता अनिल विज ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह भाजपा की लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। चुनाव की तिथियों में संशोधन लोगों के हित में किया गया है। यदि कांग्रेस को यह प्रक्रिया पसंद नहीं है, तो वे घर पर बैठ सकते हैं। जिन्हें यह प्रक्रिया पसंद है, उन्हें मतदान करने दिया जाए।
वहीं, हरियाणा कांग्रेस प्रमुख उदयभान और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के लिए हिमाचल भवन पहुंचे।