हरियाणा में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के बीच शनिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई। आचार संहिता की मर्यादा में बंधी सरकार ने मंत्रिमंडल में कोई फैसला तो नहीं लिया, लेकिन जिन मुद्दों पर सहमति बनी है, उन्हें मंजूरी के लिए चुनाव आयोग के पास भेजने का निर्णय लिया गया है।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बताया कि प्रदेश सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है। इस अध्यादेश में प्रविधान किया गया है कि हरियाणा में जुआ खेलना अथवा किसी मैच पर सट्टा लगाना संज्ञेय अपराध होगा।
सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग करने वालों पर कसेगा शिकंजा
हरियाणा में कोई भी व्यक्ति यदि किसी भी तरह की सट्टेबाजी में शामिल होता है अथवा कोई मैच फिक्सिंग करता है तो उस पर कानून का शिकंजा कसा जाएगा। ऐसी असामाजिक गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को जुर्म में दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा और सात लाख रुपये के जुर्माने का प्रविधान किया गया है।
प्रदेश सरकार पांच अध्यादेश पहले ही ला चुकी है, जिन पर राज्यपाल अपने हस्ताक्षर कर चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी विधानसभा में मंजूर नहीं कराया जा सका है।
राज्यपाल ने स्वीकार किए पांच आर्डिनेंस
हरियाणा के राज्यपाल ने जो पांच आर्डिनेंस स्वीकृत किए हैं, उनमें प्रदेश में कॉन्ट्रैक्ट (संविदा) आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करने को लेकर अहम अध्यादेश शामिल है।
प्रदेश के नगर निकायों (नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों) और पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लाक बी के व्यक्तियों को आरक्षण प्रदान करने के बारे में कुल तीन अध्यादेश है
चुनाव आयोग को भेजे जाएंगे कैबिनेट के मुद्दे
पांचवां अध्यादेश हरियाणा शामलात (सांझा) भूमि विनियमन (संशोधन) से जुड़ा है। इन सभी को प्रदेश के राज्यपाल द्वारा 14 अगस्त को स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिनमें से कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा के बारे में अध्यादेश की 14 अगस्त शाम को ही गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित हो गई थी।
शेष चार अध्यादेशों का 16 अगस्त (आदर्श आचार संहिता लागू होने से पूर्व) प्रदेश सरकार के गजट में अधिसूचना के तौर पर प्रकाशन किया गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि अपनी सरकार के बहुत से फैसले तो हमने लागू कर दिए हैं।
अब प्रदेश में आचार संहिता लगी चुकी है, इसलिए अब हम कोई फैसला नहीं ले सकते, लेकिन कैबिनेट में जो मुद्दे आए हैं, उन पर निर्णय लेने के लिए चुनाव आयोग के पास भेज रहे हैं।