हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने को आतुर भाजपा के सामने इस बार चुनौतियां कम नहीं हैं। सत्ता विरोधी लहर और 10 साल सत्ता से दूर चल रही कांग्रेस सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन से पार्टी के रणनीतिकारों में निराशा है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मनोहर लाल के स्थान पर ओबीसी वर्ग के नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर सत्ता विरोधी कारकों को कम करने की कोशिश की थी, लेकिन भाजपा जिस तरह आधी सीटों पर खिसक गई।
पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की और मत प्रतिशत में भी बढ़ोतरी दर्ज कराई। इससे ध्यान में रखें तो विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से चुनौती मिलने वाली है।
कांग्रेस ने दिया एकजुटता का संदेश
हालांकि, कांग्रेस की गुटबाजी का भाजपा को फायदा मिल सकता है, लेकिन दो दिन पहले कांग्रेस की प्रदेश चुनाव समिति की नई दिल्ली में हुई बैठक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा, कैप्टन अजय यादव और बीरेंद्र सिंह ने भागीदारी करते हुए यह संदेश देने की कोशिश की है कि भले ही उनके बीच मुख्यमंत्री पद की लड़ाई है, लेकिन सबसे पहले जीत के लिए वह एकजुट होंगे।
हरियाणा में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 46.11 प्रतिशत और कांग्रेस ने 43.67 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। कांग्रेस ने नौ लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था।
कुरुक्षेत्र सीट सहयोगी दल आम आदमी पार्टी को दी थी। आप कुरुक्षेत्र सीट जीत नहीं पाई, लेकिन यहां चार विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करते हुए पूरे राज्य में 3.94 प्रतिशत मत हासिल किए थे।
भाजपा ने 44 सीटों से बनाई बढ़त
कांग्रेस और आप के इन मतों को जोड़ दिया जाए तो यह 47.61 प्रतिशत बनता है, जो कि भाजपा के 46.11 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 44 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी, जबकि पांच ही लोकसभा सीटें जीतने वाली कांग्रेस को 42 सीटों पर बढ़त मिली थी।
आप की चार विधानसभा सीटों को जोड़ लिया जाए तो आइएनडीआइए के नाते कांग्रेस 46 सीटों पर बढ़त का दावा कर रही है। इस स्थिति में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की राह इतनी आसान नहीं है, जितना उसके नेता दावा कर रहे हैं।
ये मुद्दे बना और बिगड़ सकते हैं समीकरण
• भाजपा के लिए सबसे अधिक परेशानी का कारण सरकारी पोर्टल बन रहे हैं। करीब डेढ़ सौ सरकारी योजनाओं का लाभ पोर्टल के माध्यम से मिल रहा है, लेकिन विपक्षी पोर्टल की खामियां गिनाकर चुनावी मुद्दा बना रहे हैं।
• नई पेंशन का लाभ लेने में भी सरकारी बाबुओं ने लोगों को खूब चक्कर कटवाए। हालांकि सरकार ने विशेष शिविर लगा इन खामियों को ठीक कराया और पात्रों तक लाभ पहुंचाया।
• बेरोजगारी, कानून व्यवस्था की स्थिति, नये उद्योगों की स्थापना में कमी तथा किसानों की फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी के साथ महंगाई के मुद्दे को भी विपक्ष भुना सकता है। लेकिन सरकार ने नौकरियों का पिटारा खोल माहौल बदलने की कोशिश की है।