हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर भाजपा को घेरा है। कांग्रेस और भाजपा के दस साल के कार्यकाल की तुलना आंकड़ों के साथ करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भाजपा ने सिर्फ एमएसपी बढ़ोतरी की रफ्तार पर ब्रेक लगाने का काम किया और किसानों को घाटे में धकेला। यही वजह है कि आज हरियाणा समेत पूरे देश का किसान आंदोलनरत है।
भूपेंद्र हुड्डा ने एमएसपी को लेकर भाजपा को घेरा
भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोमवार को अपने आवास पर किसानों की मांगों और समस्याओं को सुन रहे थे। एमएसपी के आंकड़े पेश करते हुए उन्होंने बताया कि 2004-05 में जब कांग्रेस सत्ता में आई तो गेंहू का रेट सिर्फ 640 रुपये था। इसमें दोगुने से ज्यादा बढ़ोतरी करके कांग्रेस ने 1450 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंचाया, यानी कि रेट में 126.5 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। भाजपा के पूरे कार्यकाल में आज तक गेहूं के रेट में सिर्फ 51.7 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी हुई है, यानी कांग्रेस के मुकाबले आधी से भी कम।
इसी तरह धान की बात की जाए तो कांग्रेस ने 560 रुपये से बढ़ाकर 1360 रुपये किया, यानी 143 प्रतिशत की बढ़ोतरी। भाजपा ने सिर्फ 60 प्रतिशत बढ़ोतरी की। कपास का रेट कांग्रेस ने 1760 से बढ़ाकर 4050 रुपये किया यानी 130 प्रतिशत की बढ़ोतरी, जबकि भाजपा ने सिर्फ 53.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। बाजरा के रेट में कांग्रेस ने 143 प्रतिशत तो भाजपा ने 100 प्रतिशत और सूरजमुखी की एमएसपी में कांग्रेस ने 180 प्रतिशत तो भाजपा ने सिर्फ 70.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की।
‘कांग्रेस सरकार में तुरंत खरीदी जाती थी फसल’
हुड्डा ने कहा कि राज्य सरकार के भाव की बात करें तो 2005 तक गन्ने का भाव सिर्फ 117 रुपये था। इसमें ढाई गुणा से ज्यादा यानी 165 प्रतिशत बढ़ोतरी करके कांग्रेस ने रेट को 310 रुपये किया था, लेकिन भाजपा ने आज तक रेट को सिर्फ 386 रुपये किया है यानी मात्र 24.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है।
कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान व्यवस्था बनाई कि जैसे ही मंडी में फसल की आवक होगी तो तुरंत सरकारी एजेंसियां उसकी खरीद शुरू कर देंगी। इसके चलते मार्केट में फसल के भाव अपने आप बढ़ जाते थे और प्राइवेट एजेंसियों को भी एमएसपी या उससे ज्यादा रेट पर किसानों की फसल खरीदनी पड़ती थी। इस तरीके से प्रदेश के ज्यादातर किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल जाता था।
‘भाजपा सरकार में कई दिनों तक करना पड़ता इंतजार’
विपक्ष के नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा ठीक इसके विपरीत काम करती है। जब भी किसान अपनी फसल मंडी में लेकर पहुंचता है तो कोई भी सरकारी एजेंसी खरीद नहीं करती। कई-कई दिनों तक किसानों को खरीद शुरू होने का इंतजार करना पड़ता है। मजबूरी में किसानों को प्राइवेट एजेंसियों के पास जाना पड़ता है, जो एमएसपी से बहुत कम रेट पर उनकी फसल खरीदती हैं।
इसके चलते मार्केट में फसलों का रेट गिर जाता है और किसानों को भारी घाटा होता है। जब बड़ी मात्रा में किसान अपनी फसल बेच देते हैं, तब सरकार द्वारा खरीद शुरू की जाती है और इसके चलते ज्यादातर किसान एमएसपी से वंचित हो जाते हैं। कांग्रेस सरकार बनने पर इस व्यवस्था को बदला जाएगा और किसानों के लिए एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित की जाएगी।