विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम तय हो चुका है। राजनीतिक दलों की ओर से प्रदेश भर में प्रत्याशियों की घोषणा किया जाना अभी तक शेष है।
हालांकि, झज्जर जिला सहित प्रदेश की सभी सीटों पर कांग्रेस के दावेदारों की एक लंबी सूची जरूर सामने आ चुकी है। जिसमें झज्जर, बेरी, बादली और बहादुरगढ़ विधानसभा से बड़ी संख्या में दावेदार सीटिंग एमएलए के साथ कतार में है।
भाजपा में रायशुमारी से लेकर नेताओं की संगठन से चर्चा का दौर अभी चल रहा है। ऐसे में सोशल मीडिया पर इस बात का भी जिक्र हो रहा है कि 22 से 25 अगस्त तक भाजपा से एक सूची आ सकती है। कुल मिलाकर, चर्चाओं का यह दौर आचार संहिता लगने के साथ अब गति पकड़ रहा है।
दिल्ली और चंडीगढ़ का रास्ता तय करने में व्यस्त नेता
अपने-अपने समीकरण बनाते हुए टिकट की उम्मीद में फील्डिंग जमा रहे नेता दिल्ली से चंडीगढ़ तक का रास्ता तय कर रहे हैं।
राजनीति में जो वर्तमान परिदृश्य दिखाई दे रहा है, उसके मुताबिक पार्टियों से जुड़े शीर्ष कैडर के कई नेता वर्षों से चली आ रही राजनैतिक आस्था की ओढ़नी को त्यागते हुए अपने नए समीकरणों में स्वयं को फिट कर चुके है। जबकि कुछ पार्टियों में फिट हुए नेताओं को वहां का माहौल रास नहीं आ रहा।
आस्थाओं को बदलकर कौन थामेगा किसका दामन
चुनावी मैदान में ताल ठोंक चुके क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवार भी हार-जीत का समीकरण बनाने में अपना अह्म रोल अदा करेंगे। इस बात की खूब अफवाहें उडने लगी है, ऐसे सभी नेता जो चुनाव लड़ने के तो इच्छुक हैं, और उन्हें अपनी पार्टी से टिकट नहीं मिली। तो वे अपनी वर्षों से चली आ रही आस्था को त्यागते हुए अन्य दलों का दामन थाम सकते है।
इसलिए माना जा रहा है कि यह सभी दल सत्तासीन भाजपा एवं कांग्रेस के स्तर पर जारी होने वाली सूची का इंतजार करेंगे। चर्चाओं में कितना दम हैं और वे किस हद तक यह सटीक बैठती है यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन इतना अवश्य है कि मतदाताओं की चुनाव में पूछ होने वाला दौर फिर से शुरू हो गया है।
आकाओं के यहां पर पहुंचने लगे टिकटों के दावेदार
विधानसभा चुनाव की बिसात पर सजने वाले नेताओं की दौड़ बेशक ही चंडीगढ़ फतह करने के लिए होनी है। लेकिन चंडीगढ़ तक का सफर तय करने के लिए मिलने वाली टिकट का रास्ता वाया दिल्ली से होकर आता दिख रहा है।
सियासी बिसात पर कब क्या हो जाए इसको लेकर कुछ कहां नहीं जा सकता। नेता अपने चुनावी क्षेत्र को छोड़कर दिल्ली में आकाओं के यहां डेरा डालकर बैठ गए है। प्राय: सभी संभावित प्रत्याशियों का मानना है कि टिकटों का वितरण बेशक ही धरातल पर होने वाले पार्टी के सर्वें, पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट, व्यक्तिगत फीडबैक एवं अन्य समीकरणों को लेकर तय किया जाता है।
लेकिन, वे किसी भी स्तर पर कोई चूक नहीं छोड़ना चाहते। क्षेत्र की जनता भी पार्टियों की ओर से होने वाली टिकटों के वितरण पर पैनी नजर जमाए हैं। अपनी बात रखते हुए लोग खूब कयास लगा रहे हैं और कह रहे है कि फलां नेता को टिकट मिलेगी। फलां हर हाल में टिकट लेकर आएगा। होना क्या हैं यह तो जारी होने वाली सूची के बाद ही स्पष्ट होगा। लेकिन रोमांच हैं कि दिनों दिन बढ़ने लगा है।