खेती-किसानी में अग्रणी हरियाणा का मुकाबला खेलों के क्षेत्र में करने वाला दूसरा कोई राज्य नहीं है। देश की आबादी में हमारी हिस्सेदारी सिर्फ दो प्रतिशत है और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में 30 से 35 प्रतिशत मेडल हमारे खिलाड़ी लाते हैं। पेरिस ओलंपिक में इस बार देश ने छह पदक जीते। इनमें से पांच में हरियाणा के खिलाड़ियों का योगदान रहा। दमखम वाले खेल कुश्ती और मुक्केबाजी हरियाणा की पहचान हैं।
लेकिन, अब प्रदेश के युवा दूसरे खेलों में भी पदक जीतकर इस पहचान को विस्तार दे रहे हैं। इस बार ओलंपिक में हरियाणा के खिलाड़ियों ने कुश्ती में कांस्य पदक जीतने के साथ भाला फेंक में रजत और निशानेबाजी में दो कांस्य पदक हासिल किए। इस वर्ष निशानेबाजी में हरियाणा के खिलाड़ियों ने कमाल का प्रदर्शन किया है। ओलंपिक में निशानेबाजी में कांस्य पदक जीतकर झज्जर की बेटी मनु भाकर ने इतिहास रच दिया। एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली वह देश की पहली खिलाड़ी हैं।
साथ ही निशानेबाजी में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी भी बनीं। अंबाला के सरबजोत सिंह ने भी मनु के साथ मिक्स डबल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। निशानेबाजी में हरियाणा में युवा खिलाड़ियों की पूरी फौज तैयार है। मनु और सरबजोत के अलावा फरीदाबाद के शिवा नरवाल, करनाल के अनीश भानवाला, कुरुक्षेत्र की रमिता जिंदल, फरीदाबाद की रिदम सांगवान और झज्जर की पलक गुलिया में प्रदेश के सुनहरे भविष्य की झलक दिख रही है।
युवा तीरंदाज सिरसा की भजन कौर ने पेरिस ओलंपिक में अपनी पहचान छोड़ी है। 19 साल की भजन कौर ने दीपिका कुमारी और अंकिता भकत जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के साथ विश्व के बड़े खिलाड़ियों को बिना डर के कड़ी टक्कर दी। इसके अलावा यमुनानगर के गांव शाहपुर के परमिंदर सिंह ने रोइंग, पंचकूला के आर्यन पाल सिंह घुमन स्केटिंग, सोनीपत की सीमा पूनिया डिस्कस थ्रो, फरीदाबाद की प्रीति लांबा स्टीपलचेज में नाम रोशन कर रही हैं।
टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीत नीरज बने देश के स्पोर्ट्स आइकन
पहले खिलाड़ी कुश्ती और मुक्केबाजी तक सीमित रहते थे। लेकिन टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीतकर पानीपत के खंडरा गांव के नीरज चोपड़ा ने युवाओं को नई दिशा दी। नीरज के ओलंपिक में गोल्ड जीतने के बाद भाला फेंक के प्रति युवाओं में क्रेज काफी बढ़ा। इसके बाद नीरज हरियाणा ही नहीं देश भर में स्पोर्ट्स आइकन बन गए। 28 अगस्त, 2023 का दिन नीरज की जिंदगी में हमेशा खूबसूरत याद की तरह जुड़ा रहेगा। इस दिन हंगरी के बुडापेस्ट में 88.17 मीटर भाला फेंककर वे वर्ल्ड चैंपियन बने थे। साथ ही सीनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले वे पहले भारतीय एथलीट बने। एशियन गेम्स में भी नीरज ने सीजन के सर्वश्रेष्ठ 88.88 मीटर थ्रो के साथ गोल्ड मेडल जीता। हालांकि, वे पेरिस ओलंपिक और डायमंड लीग में स्वर्ण पदक से चूक गए।
खिलाड़ियों को दिए जाते हैं नकद पुरस्कार
खेलों को विश्वस्तर तक ले जाने के लिए हरियाणा की खेल नीति का भी काफी योगदान है। प्रदेश में तीन राज्यस्तरीय, 21 जिलास्तरीय और 245 ग्रामीण स्टेडियम सरकार ने बनवाए हैं। हरियाणा देश का पहला राज्य है, जो पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कार के रूप में सर्वाधिक नकद राशि देता है। ओलंपिक में पदक जीतने पर 2.5 करोड़ से लेकर 6 करोड़ रुपये तक पुरस्कार राशि दी गई है। एशियाई खेलों के पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकार 75 लाख रुपये से लेकर 3 करोड़ रुपये पुरस्कार स्वरूप देती है। ‘पदक लाओ, पद पाओ नीति’ के तहत खिलाड़ियों को खेल विभाग में सरकारी नौकरी भी दी जाती हैं।
खिलाड़ी के अनुसार
खेलो इंडिया शुरू होने के बाद खिलाड़ियों के प्रदर्शन में काफी सुधार आया है। 2016 में जब मैंने निशानेबाजी की शुरुआत की थी, तब लोग कुश्ती और मुक्केबाजी के अलावा दूसरे खेलों को ज्यादा तवज्जो नहीं देते थे। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। लोग अपने बच्चों को कुश्ती और मुक्केबाजी के अलावा दूसरे खेलों में भी भेज रहे हैं। खेलों में हरियाणा का भविष्य और भी शानदार होगा। –सरबजोत सिंह, ओलंपियन निशानेबाज।