डिजिटलाइजेशन के जमाने में साइबर अपराधी रोजाना नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को साइबर ठगी का शिकार कर रहे है। साइबर अपराधी लोगों को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर साइबर ठगी कर रहे हैं।
पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण ने साइबर क्राइम बारे जागरुक करते हुए कहा कि आमजन को पता होना चाहिए कि डिजिटल अरेस्ट क्या है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी सरकारी एजेंसियों के नाम पर लोगों से ठगी कर रहे है, इसी को डिजिटल अरेस्ट का नाम दिया गया है।
सरकारी एजेंसियों के नाम पर कर रहे साइबर ठगी
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि दरअसल, साइबर ठग अब सरकारी एजेंसियों के नाम पर लोगों को डरा धमकाकर रुपये ऐंठने का काम रहे हैं। साइबर ठग अब पुलिस अधिकारी, सीबीआई, नारकोटिक्स विभाग, रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य एजेंसियों के नाम पर ब्लैकमेल और डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देकर लोगों से वसूली को अंजाम दे रहे हैं।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि आधुनिकता व डिजिटलाइजेशन के इस दौर में साइबर ठगी से बचने के लिए अपने आप को सावधान व सतर्क रखें, क्योंकि सावधानी व सतर्कता ही साइबर ठगी से बचने का बेहतर उपाय है।
ऐसे देते साइबर ठगी को अंजाम
पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण ने कहा कि साइबर ठग अक्सर मोबाइल फोन के जरिए लोगों से वीडियो कॉल से कॉल कर नकली पुलिस अफसर बनकर अलग-अलग नंबरों पर बात कराई जाती है। फिर जमानत के नाम पर ओटीपी मांग लिया जाता है तथा नागरिक डर जाते हैं और अपने बैंक खातों संबंधी जानकारी साइबर ठग को बता देते हैं और साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं।
फर्जी लिंक से रहे सावधान- पुलिस अधीक्षक
पुलिस अधीक्षक ने आमजन से कहा कि इस तरह के फर्जी लिंक से सावधान रहें और अपनी निजी जानकारी किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा न करें क्योंकि ऐसा करने से आप साइबर धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं। पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण ने कहा कि एक बार यदि कोई व्यक्ति इनके चंगुल में फंस जाता है तो साइबर ठग हर रोज वाट्सएप नंबर पर हाजिरी भी लगवाते हैं। इसमें व्यक्ति को रोजाना प्रजेंट सर लिखकर ग्रुप पर भेजना होता है।
पुलिस प्रशासन की ओर से बताया गया है कि नागरिकों के पास इस प्रकार का कोई फोन आए तो तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क करना चाहिए और तुरंत साइबर हेल्प लाइन नंबर 1930 पर कॉल कर इसकी सूचना दे सकते हैं।